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AI के माध्यम से खाद्य क्रांति और भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने का प्रयास

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देहरादून। प्रदेश के कृषि मंत्री गणेश जोशी ने आज डी०ए०वी महाविद्यालय में इंडियन कांउसिल आफ सोशल रिसर्च द्वारा प्रायोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि प्रतिभाग किया। इस अवसर पर अपने संबोधन में कृषि मंत्री गणेश जोशी ने आयोजक गणों को कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसे आज के बहुचर्चित एवं ज्वलना विषय पर आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी के लिए बधाई देते हुए कहा कि विश्व चौथी औद्योगिक क्रान्ति की ओर बढ़ रहा है। इसमें आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इंसान और मशीन के साथ मिलन हो रहा है।

उन्होंने कहा कि AI इतना महत्वपूर्ण हो गया है, कि आज AI क्षेत्र में इतना निवेश हो रहा है, जो भारत की जीडीपी से चार गुणा अधिक है। उन्होंने कहा कि AI के अच्छे और बुरे प्रभाव दोनों के बारे में अक्सर चर्चायें होती है और परिणाम भी देखने को मिलते है। उन्होंने कहा कि AI की अपार सम्भावनाओं को पहचाना है और शिक्षा प्रणाली में इसके एकीकरण की सिफारिश की गई है। नई शिक्षा नीति 2020 में भारत सरकार ने इसकी चिन्ता की है।

कृषि मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि कृषि के क्षेत्र में एआई के माध्यम से खाद्य क्रांति लाने और भोजन की बढ़ती मांग को पूरा करने का प्रयास किया जा रहा है (वैश्विक स्तर 2050 तक अतिरिक्त 2 विलियन लोगों की खादय आवश्यकता को पूरा करने के लिए आज की तुलना में 50% अधिक खाद्यान्न का उत्पादन करने की आवश्यकता होगी। इसकी सहायता से आवश्यकताओं की पूर्ति, सुनिश्चित सिंचाई की कमी एवं कीटनाशको और उर्वरकों के अति प्रयोग दुरुपयोग जैसी चुनौतियों का सामना करने की क्षमता विकसित की जा सकती है।

उन्होंने कहा कि सटीक खेती के लिए AI नीति आयोग और IBM ने किसानों को रियल टाइम एडवाइजरी प्रदान करने के लिए समझौता किया है। इसमें एआई का उपयोग करते हुए एक फसल उपजाने वाली तकनीक का मॉडल विकसित किया जाएगा। जिससे फसल उत्पादकता में सुधार, मिट्टी की उपज, कृषि आदानों को नियंत्रित करने और कीट/बीमारी के प्रकोप पर प्रारंभिक चेतावनी जारी की जाएगी। उन्होंने कहा कि आईबीएम का ए.आई. मॉडल रिमोट सेंसिंग (इसरो) मृदा स्वास्थ्य कार्ड आईएमडी के मौसम की भविष्यवाणी, फसल फेनोलॉजी आदि से प्राप्त डेटा का उपयोग करेगा।

यह परियोजना असम, बिहार, झारखंड, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के 10 आकांक्षी जिलों में कार्यान्वित की जा रही है। उन्होंने कहा कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक का प्रभाव बहुत ही व्यापक एवं चुनौती पूर्ण है। देश की आर्थिकी, समावेशी विकास, स्वास्थ्य, शिक्षा एवं कौशल, परिवहन, संचार, स्मार्टसिटी और इंफ्रास्ट्रक्चर, कृषि आदि क्षेत्रों में कृत्रिम बुद्धिमत्ता तकनीक के प्रयोग को तेजी से बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रगति की इस दौड़ में यह विचार करना भी आवश्यक है कि हमारे रचनात्मक, कलात्मक और चिंतन में इसका सकारात्मक प्रभाव हो। इस अवसर पर विधायक सविता कपूर, निदेशक उच्च शिक्षा प्रो.अंजू अग्रवाल, प्रो. रीना चंद्रा, एम.पी. कुलश्रेष्ठ, प्रो. किरन डंगवाल, प्रो.हिमांशु अग्रवाल, प्रो.ओपी कुलश्रेष्ठ, प्रो.के.आर. जैन, डॉ. हरिओम शंकर सहित कई लोग उपस्थित रहे।

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