मानसून- आयुर्वेद डाइट से पाए कुदरती दमकती और सेहतमंद त्वचा

देहरादून। मानसून में त्वचा बेजान हो जाती है और इसमें कोई ग्‍लो नहीं दिखता। लोग अक्सर बाहरी उपाय अपनाते हैं, जो थोड़ी देर राहत देते हैं, लेकिन बार-बार इस्तेमाल से दाने, काले धब्बे या खुजली हो सकती है। आयुर्वेद विशेषज्ञ डॉ. मधुमिता कृष्णन सलाह देती हैं कि त्वचा और पूरे शरीर के स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक तरीके अपनाएं। वे कहती हैं कि स्वस्थ खाना खाएं और बादाम, हर्बल चाय और हल्दी जैसे प्राकृतिक चीजों को अपनी डाइट में शामिल करें। आयुर्वेद के मुताबिक, सही खानपान शरीर के तीन दोषों-वात, पित्त और कफ-को संतुलित करता है, जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार बनती है, क्योंकि अच्छी त्वचा के लिए अच्छा पाचन जरूरी है। बादाम वात दोष को संतुलित करने की क्षमता रखते हैं। यह मौसम के असंतुलन को ठीक करते हैं और शरीर को मजबूती प्रदान करते हैं, जिससे सभी ऊतकों को ऊर्जा और ताजगी मिलती है। आयुर्वेद की पारंपरिक तैयारियों में बादाम का महत्वपूर्ण स्थान है, जो पूरे भारत में लोग अपनाते हैं।

त्वचा के स्वास्थ्य के लिए, डॉ. मधुमिता रोजाना नाश्ते में बादाम शामिल करने की सलाह देती हैं ताकि स्वस्थ, चमकदार त्वचा मिले। आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी ग्रंथों में भी बादाम खाने से त्वचा को होने वाले स्वास्थ्य लाभों के बारे में बताया गया है, जो त्वचा की चमक बढ़ाने में मदद करते हैं। अदरक, तुलसी और कैमोमाइल जैसी हर्बल चाय शरीर को साफ करती हैं और पाचन को बेहतर बनाती हैं, जिससे त्वचा साफ और स्वस्थ रहती है। ये चाय वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित करती हैं और सूजन कम करके मुंहासों जैसी समस्याओं को रोकती हैं। डॉ. मधुमिता सुझाव देती हैं कि ताजा अदरक को पानी में उबालकर, उसमें थोड़ा शहद मिलाकर एक साधारण चाय बनाएं। यह चाय पाचन को ठीक करती है और त्वचा को भीतर से चमक देती है। आयुर्वेद के अनुसार, अनार, सेब और नाशपाती जैसे मौसमी फल शरीर के दोषों को संतुलित करते हैं, पाचन को बेहतर बनाते हैं, शरीर को पोषण देते हैं और संपूर्ण स्वास्थ्य को बढ़ावा देते हैं। हल्के मीठे और खट्टे फल वात दोष को संतुलित करते हैं, टिश्‍यू मेटाबॉलिज्‍म को बेहतर करते हैं, जिससे त्वचा का स्वास्थ्य और दमक बढ़ती है।

इन फलों को रोजाना नाश्ते के रूप में खाएं या सलाद और स्मूदी में शामिल करें। आयुर्वेद में पालक, मेथी और धनिया जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां खून को शुद्ध करती हैं, क्योंकि इनका स्वाद कड़वा और कसैला होता है। ये दोषों को संतुलित करती हैं, शरीर को डिटॉक्सिफाई करती हैं, टिश्‍यू को पोषण देती हैं और साफ, चमकदार त्वचा पाने में मदद करती हैं। इन्हें सूप, स्टू या करी में शामिल करें और चमत्कार देखें। आयुर्वेद के अनुसार, हल्दी अपने एंटी-इनफ्लैमेटरी और एंटीबैक्‍टीरियल गुणों के लिए प्रसिद्ध है, जो त्वचा की लालिमा को कम करती है और मुंहासों को रोकती है। इसका कड़वा स्वाद शरीर को डिटॉक्सिफाई करता है, वात दोष को संतुलित करता है और पाचन को बेहतर बनाता है। इसमें मौजूद करक्यूमिन त्वचा की प्राकृतिक चमक बढ़ाता है और पिगमेंटेशन को कम करता है। एक आनंददायक पेय के लिए, हल्दी को गर्म दूध और शहद के साथ मिलाकर हल्दी चाय बनाएं। आयुर्वेद में घी को एक अमृत माना जाता है, जो दोषों को संतुलित करता है और स्वस्थ त्वचा को गहराई से पोषण देकर स्वस्थ बनाता है।

घी हेल्‍दी फैट का सोर्स है और यह त्वचा को भीतर से पोषण देता है, जिससे त्वचा कोमल और नमीयुक्त रहती है। इसमें मौजूद एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा को ऑक्सीडेटिव तनाव और समय से पहले बूढ़ा होने से बचाते हैं। एक पौष्टिक नाश्ते के लिए, गर्म दूध या दलिया में थोड़ा सा घी मिलाएं। डॉ. मधुमिता सलाह देती हैं कि आयुर्वेदिक तरीकों को त्वचा की देखभाल में अपनाएं। इससे शरीर अंदर से साफ होता है, वात दोष संतुलित रहता है, पाचन बेहतर होता है और त्वचा को पोषण मिलता है। यह तरीका त्वचा को जलन, एलर्जी और लंबे समय की स्वास्थ्य समस्याओं से बचाता है, जिससे त्वचा स्वस्थ और चमकदार रहती है और पूरा शरीर बेहतर महसूस करता है।