
देहरादून। कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) की अध्यक्षता में हुई केंद्रीय प्रशिक्षुता परिषद (सीएसी) की 38वीं बैठक में देश के युवाओं के लिए एपरेंटिसशिप (प्रशिक्षुता) को और अधिक फायदेमंद और आकांक्षापूर्ण बनाने के लिए एक ऐतिहासिक कदम उठाते हुए, राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) और राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) के तहत दिए जाने वाले वजीफे में 36 प्रतिशत की वृद्धि की सिफारिश की गई। इस सिफारिश के तहत मौजूदा 5,000-9,000 के वजीफे की सीमा को बढ़ाकर 6,800-12,300 तक करने का प्रस्ताव किया गया है, जिसका उद्देश्य है, ड्रॉपआउट दर (एपरेंटिसशिप बीच में छोड़ने की दर) को कम करना और विभिन्न क्षेत्रों में अधिक उम्मीदवारों को आकर्षित करना। परिषद ने नई दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित बैठक में भारत के उभरते एपरेंटिसशिप परिदृश्य की समीक्षा की और परिणाम को बेहतर बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों पर चर्चा की।
चर्चा के दौरान वजीफे में संशोधन पर मुख्य रूप से ध्यान दिया गया, जिसे जुलाई में वेतन वृद्धि चक्र के साथ संरेखित करते हुए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) में परिवर्तन के आधार पर हर दो साल में स्वचालित रूप से समायोजित करने का प्रस्ताव है। यह कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के प्रशासनिक अधिकार क्षेत्र के तहत किया जाएगा और बाद में प्रशिक्षुता नियम, 1992 के नियम 11 के तहत समिति को रिपोर्ट किया जाएगा। प्रस्ताव अब अंतिम मंज़ूरी के लिए मंत्रिमंडल को भेजा जाएगा। जयंत चौधरी ने अपने मुख्य भाषण में कहा एपरेंटिसशिप केवल कौशल प्रदान करने का ज़रिया नहीं है – यह एक ऐसा पुल है जो शिक्षा, उद्योग और रोज़गार को जोड़ता है, खासकर हमारे ग्रामीण युवाओं के लिए। एनएपीएस और एनएटीएस के साथ एक मज़बूत कानूनी ढांचे द्वारा समर्थित स्तंभों के रूप में, हम इसे और अधिक समावेशी, उत्तरदायी और आकांक्षी बनाने के लिए सक्रिय रूप से सुधार कर रहे हैं।
एनएटीएस के तहत उच्च शिक्षा संस्थानों को माइक्रो-प्रशिक्षुता, वैकल्पिक ट्रेड और अधिक स्वायत्तता की शुरूआत प्रभाव को बढ़ाने और गहरा करने की हमारी रणनीति का हिस्सा है। समावेशिता इन कार्यक्रमों के मूल में है, और हमने इसे मजबूत करने के लिए प्रमुख सुधार पेश किए हैं। हमारा लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि हर युवा व्यक्ति, चाहे उसकी पृष्ठभूमि कुछ भी हो, व्यावहारिक शिक्षा और उद्योग के संपर्क के माध्यम से एक सार्थक करियर में उचित अवसर प्राप्त करे। परिषद ने एपरेंटिसशिप-एकीकृत शिक्षा को आगे बढ़ाने और प्रशिक्षुता नियम, 1992 के तहत नीतिगत ढांचे को कारगर बनाने के लिए महत्वपूर्ण सुधारों पर भी ज़ोर दिया। एजेंडा का एक महत्वपूर्ण मुद्दा था, एपरेंटिसशिप वाले शिक्षा कार्यक्रमों को बढ़ावा देना, जिसमें डिग्री एप्रेंटिसशिप, संस्था, यूजीसी और अनुबंधित कर्मचारी जैसी नई परिभाषाएं शामिल थीं, ताकि शैक्षणिक पाठ्यक्रम को ऑन-द-जॉब प्रशिक्षण आवश्यकताओं के अनुरूप बनाया जा सके।
इसने नियोक्ताओं को ऑनलाइन, वर्चुअल या मिश्रित मोड के माध्यम से बुनियादी और व्यावहारिक प्रशिक्षण देने में सक्षम बनाने का भी प्रस्ताव रखा, जिससे गुणवत्ता या केंद्रीय रूप से स्वीकृत पाठ्यक्रम के अनुपालन से समझौता किए बिना सीखने में लचीलापन सुनिश्चित हो सके। इसके अतिरिक्त, बैठक में राष्ट्रीय प्रशिक्षुता प्रशिक्षण योजना (एनएटीएस) के प्रशासन और आउटरीच में सुधार करने और प्रशिक्षुता एम्बेडेड डिग्री प्रोग्राम (एईडीपी) को विनियमित करने के लिए नए स्थानों पर क्षेत्रीय बोर्डों के निर्माण पर चर्चा की गई, जिससे एपरेंटिसशिप नियमों में एक नया खंड सम्मिलित करना आवश्यक हो गया। परिषद ने विकलांग व्यक्तियों के अधिकार (आरपीडब्ल्यूडी) अधिनियम के अनुरूप बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्ति के लिए एक परिभाषा सम्मिलित करने का प्रस्ताव देकर समावेश पर भी ज़ोर दिया। इसने सिफारिश की कि ट्रेड या विषय क्षेत्र बेंचमार्क विकलांगता वाले व्यक्तियों के लिए अपनी उपयुक्तता निर्दिष्ट करें और तदनुसार प्रशिक्षण स्थान आरक्षित करें, जिससे एपरेंटिसशिप प्रशिक्षण में समान पहुंच और भागीदारी को बढ़ावा मिले।