चम्पावत में महिलाओं ने तुलसी व्रत का उद्यापन किया
चम्पावत। श्रद्धालुओं ने तुलसी व्रत का उद्यापन किया। इस दौरान महिलाओं ने उपवास धारण कर तुलसी और शालिग्राम का विवाह कराया। चम्पावत में शुक्रवार को महिलाओं ने तुलसी व्रत का उद्यापन किया। पुरोहित दिनेश त्रिपाठी ने बताया कि तुलसी शालिग्राम का विवाह कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वादशी को किया जाता है।
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पौराणिक कथा के अनुसार तुलसी पूर्व जन्म में वृंदा नाम की लड़की थी। राक्षस कुल में जन्म लेने के बाद भी वह भगवान विष्णु की भक्त थी। बाद में उसका विवाह दानव राज जलंधर से हुआ था। एक बार देवताओं और दानवों में युद्ध हुआ। वृंदा ने पति की जीत के लिए अनुष्ठान किया। वृंदा के पूजा के प्रभाव से देवता युद्ध में हारने लगे।
तब भगवान विष्णु जलंधर का रूप धर कर वृंदा के पास पहुंचे। इससे वृंदा का संकल्प टूट गया। युद्ध में देवताओं ने जलंधर को मार दिया। पति को छल से मारने पर वृंदा ने विष्णु को पत्थर होने का श्राप दिया। इसके बाद वृंदा सती हो गई। इसी राख से एक पौधा निकला। भगवान विष्णु ने पौधे का नाम तुलसी रखा। साथ ही कहा मेरा एक रूप पत्थर में रहेगा।
जिसे शालिग्राम के नाम से तुलसी के साथ पूजा जाएगा। तभी से तुलसी और शालिग्राम का विवाह करने की परंपरा है।