देहरादून। बेरोजगार महासंघ के अध्यक्ष बॉबी पंवार व उनके साथियों (unemployed federation) की जमानत रद्द होगी या नहीं इस पर कोर्ट 28 नवंबर को फैसला सुनाएगी। इस मामले में शनिवार को बचाव पक्ष ने अपने तर्क पेश किए हैं। पुलिस का कहना है कि बॉबी पंवार ने जमानत की शर्तों का उल्लंघन किया है। जबकि, बचाव ने कई तर्क रखकर बताया कि बॉबी पंवार ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिससे जमानत की शर्तों का उल्लंघन हो।
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बॉबी पंवार के नेतृत्व में नौ फरवरी को युवाओं ने गांधी पार्क के सामने (unemployed federation) प्रदर्शन किया था। इस दौरान कुछ लोगों ने पुलिस पर पथराव भी किया। इसके बाद बॉबी पंवार और उनके कुछ साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया था। उस वक्त न्यायालय ने बॉबी पंवार को इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह किसी उग्र आंदोलन में भाग नहीं लेंगे। लेकिन, पुलिस ने बागेश्वर, त्यूणी और देहरादून के कुछ आंदोलनों में भाग लेने को आधार बनाया और उनकी जमानत रद्द करने की मांग की।
इस पर कोर्ट ने गत दो नवंबर को सुनवाई की थी। कोर्ट से बचाव पक्ष ने वक्त मांगा था। इस मामले में अब शनिवार को दोनों पक्षों के बीच बहस की। बचाव की ओर से अधिवक्ता शिवा वर्मा ने कोर्ट को बताया कि पुलिस बॉबी पंवार की फेसबुक पोस्ट को आधार बना रही है। जबकि, उसमें ऐसा कुछ नहीं है कि आंदोलन उग्र हो रहा हो।
दूसरी फोटो मीडिया से बातचीत की है। इसमें भी शर्त का उल्लंघन नहीं हो रहा है। उन्होंने शाहीन बाग के विषय में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय को भी नजीर के तौर पर पेश किया, जिसमें शांतिपूर्ण आंदोलन को अभिव्यक्ति की आजादी से जोड़कर बताया गया था। इन नजीरों और दलीलों को सुनने के बाद फैसले के लिए कोर्ट ने 28 नवंबर की तिथि मुकर्रर की है।