Warning: ftp_fput() expects parameter 1 to be resource, null given in /home/livenewshindu/public_html/wp-admin/includes/class-wp-filesystem-ftpext.php on line 212

Warning: ftp_nlist() expects parameter 1 to be resource, null given in /home/livenewshindu/public_html/wp-admin/includes/class-wp-filesystem-ftpext.php on line 438

Warning: ftp_pwd() expects parameter 1 to be resource, null given in /home/livenewshindu/public_html/wp-admin/includes/class-wp-filesystem-ftpext.php on line 230

Warning: ftp_pwd() expects parameter 1 to be resource, null given in /home/livenewshindu/public_html/wp-admin/includes/class-wp-filesystem-ftpext.php on line 230

Warning: ftp_pwd() expects parameter 1 to be resource, null given in /home/livenewshindu/public_html/wp-admin/includes/class-wp-filesystem-ftpext.php on line 230

Warning: ftp_pwd() expects parameter 1 to be resource, null given in /home/livenewshindu/public_html/wp-admin/includes/class-wp-filesystem-ftpext.php on line 230

विरासत में लोग सुनंदा शर्मा के ठुमरी, चैती, कजरी और दादरा से मंत्रमुग्ध हुएं

0

देहरादून: विरासत आर्ट एंड हेरीटेज फेस्टिवल 2023 के सातवें दिन के (Virasat Art & Heritage Festival 2023) कार्यक्रम की शुरूआत विरासत साधना के साथ हुआ। विरासत महोत्सव 2023 स्कूली बच्चों के लिए अपनी प्रतिभा दिखाने का एक बहुमूल्य अवसर है। आज प्रतिभागियों ने नृत्य श्रेणि में अपना शानदार प्रदर्शन देकर लोगो को मानमोहित किया।

देवभूमि के मोटे अनाजों को मिली है वैश्विक स्तर पर पहचान : रेखा आर्या

विरासत साधना में जहां 17 स्कूलों के युवा छात्रों द्वारा शास्त्रीय (Virasat Art & Heritage Festival 2023) नृत्य प्रस्तुत किए गए। जिसमे ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी की सजप्रीत कौर कालरा, नाट्यरंभ की हरसिता अग्रवाल, आर्यन स्कूल की केसर कपिल, दून डिफेंस इंटरनेशनल स्कूल की मृगना नौटियाल एवं दून ब्लॉसम्स स्कूल की बर्थवाल ने भरतनाट्यम की प्रस्तुति की।

श्री हंस इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी से विस्सल सिंह, आशिमा डांस एंड आर्ट्स एकेडमी से दीपांशी भट्ट, तार्श सेठी और हेमंत कांथा, झंकार नृत्य वाटिका से आयुषी छेत्री, सेंट तारा एकेडमी से दिविषा, मधुकर कला संस्थान से मुस्कान अग्रवाल, योगेश राघव एवं दीपक भट्ट, हिल क्वीन पब्लिक स्कूल से तेजस्वानी, राजहंस पब्लिक स्कूल से देवांशी राणा, ईड्डू विला इंस्टीट्यूट से दिव्याना कोठियाल, गवर्नमेंट कॉलेज फॉर गर्ल्स पटियाला से रितिका गुलाटी, एसजीआरआर पब्लिक स्कूल बलावाला से प्रियंका बडोला, एसजीआरआर पब्लिक स्कूल सहस्त्रधारा रोड से खुशी कुल्हान एवं विनहिल पब्लिक स्कूल से एकाक्षी चौहान ने कत्थक की प्रस्तुति की। श्री घनश्याम जी ने प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र वितरित किए।

आज के सांस्कृतिक कार्यक्रम का शुभांरंभ श्री आनंद बर्धन, आईएएस, अपर मुख्य सचिव, उत्तराखंड सरकार ने दीप प्रज्वलन के साथ किया एवं उनके साथ रीच विरासत के महासचिव श्री आर.के.सिंह एवं अन्य सदस्य भी मैजूद रहें।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की पहली प्रस्तुति में सुभेन्द्र राव जी की रही जिसमें उन्होंने सितार वादन कियां और उन्होंने राग हेमन्त और राग पीलू में सुन्दर रचनाएँ प्रस्तुत कीं। शुभेन्द्र जी ने कार्यक्रम का समापन राग जोगेश्वरी से किया जो पं. रविशंकर जी द्वारा रचित राग जोग और राग राजेश्री का मिश्रण है।

श्री सुभेन्द्र राव एक संगीतकार और सितार वादक हैं। वे रविशंकरजी के शिष्य है, वह उनसे सच्ची गुरु-शिष्य परंपरा सीखने के लिए दिल्ली चले गए थे। उन्हें आलोचकों और पारखी लोगों द्वारा समान रूप से उनकी शिक्षक परंपरा के योग्य उत्तराधिकारी के रूप में स्वीकार किया जाता है। वह एक शास्त्रीय संगीतकार होने के साथ-साथ एक सहयोगी भी हैं, जो दुनिया भर के विभिन्न शैलियों के संगीतकारों के साथ काम करते हैं।

उन्होंने कैनेडी सेंटर, कार्नेगी हॉल, ब्रॉडवे, सिडनी ओपेरा हाउस, नेशनल आर्ट्स फेस्टिवल, थिएटर डे ला विले, डोवर लेन म्यूजिक कॉन्फ्रेंस और सेंट जेवियर्स कॉलेज अहमदाबाद जैसे प्रतिष्ठित स्थानों और समारोहों में प्रदर्शन किया है।

वे मैसूर शहर के रहने वाले है, उन्होंने बहुत कम उम्र से ही संगीत के प्रति महान प्रतिभा दिखाई। उनके पिता, एन.आर. रामा राव, जो रविशंकरजी के सबसे करीबी शिष्य थे, उन्होंने उन्हें सितार की बारीकियों से परिचित कराया। उनकी मां नागरत्न एक प्रशिक्षित सरस्वती वीणा वादक हैं।

उनकी शिक्षा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा एकल संगीत कार्यक्रमों और आर्केस्ट्रा में रविशंकर जी की सहायता करना था और उन्होंने कई बार रविशंकर जी के साथ प्रदर्शन किया है। उन्होंने रूस में ऑर्केस्ट्रा ’लाइव इन क्रेमलिन’ में प्रदर्शन किया जिसे एक सीडी के रूप में जारी किया गया है। 1989 और 1990 में, उन्होंने यूके और भारत में प्रोडक्शन ’घनश्याम’ के साथ दौरा किया।

1987 में शुभेंद्र ने बैंगलोर में अपना पहला एकल संगीत कार्यक्रम दिया और तब से वह खुद को अपनी पीढ़ी के प्रतिष्ठित वाद्ययंत्रकारों में से एक के रूप में स्थापित करते चले गए। शुभेंद्र ने न्यूयॉर्क में कार्नेगी हॉल और ब्रॉडवे, वाशिंगटन डीसी में जॉन एफ कैनेडी सेंटर फॉर परफॉर्मिंग आर्ट्स, मिनियापोलिस में वॉकर आर्ट्स सेंटर, डेस मोइनेस आर्ट्स सेंटर, हवाई में माउई आर्ट्स एंड कल्चरल सेंटर जैसे कुछ सबसे प्रतिष्ठित स्थानों पर प्रदर्शन किया है।

सिडनी में सिडनी ओपेरा हाउस, स्कॉटलैंड में एडिनबर्ग फेस्टिवल, पेरिस में थिएटर डे ला विले में, ग्वेर्नसे इंग्लैंड ॅव्ड।क् फेस्टिवल, दक्षिण अफ्रीका में नेशनल आर्ट्स फेस्टिवल, तेहरान में फज्र इंटरनेशनल म्यूजिक फेस्टिवल, सिंगापुर में एस्प्लेनेड आदि में अपनी प्रस्तुतियां दी है।

भारत में, शुभेंद्रजी ने डोवर लेन संगीत सम्मेलन, कोलकाता में आईटीसी संगीत सम्मेलन, जालंधर में बाबा हरबल्लभ संगीत महासभा, नई दिल्ली में शंकरलाल महोत्सव और गुनीदास सम्मेलन, अहमदाबाद में ै।च्ज्।ज्ञ महोत्सव और बैंगलोर में वसंतहब्बा महोत्सव सहित प्रमुख संगीत समारोहों में प्रदर्शन किया है। वे रेडियो और राष्ट्रीय टेलीविजन पर एक नियमित कलाकार हैं, उन्हें ऑल इंडिया रेडियो पर ’ग्रेड ए’ का दर्जा प्राप्त है।

उन्हें भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद (आईसीसीआर) द्वारा एक कलाकार और गुरु दोनों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। उन्हें दुनिया भर के प्रमुख विश्वविद्यालयों द्वारा भारतीय संगीत के बारे में ’व्याख्यान-प्रदर्शन’ देने के लिए अतिथि शिक्षक के रूप में भी आमंत्रित किया गया है। वह भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के पैनल में शामिल गुरु हैं, उन्होंने कई संगीत रचनाओं की रचना और रिकॉर्डिंग की है, यात्रा, लाल फूल, आस्थाओं की एकता, पोत, जब भगवान मिलते हैं…मंदिर से थिएटर तक…राष्ट्रीय टेलीविजन के लिए कई कार्यक्रम भी केए है।

सांस्कृतिक कार्यक्रम की दूसरी प्रस्तुति में सुनंदा शर्मा द्वारा भारतीय शास्त्रीय गायन की प्रस्तुति दी गई… सुनंदा की ने छोटा ख्याल के साथ अपना कार्यक्रम शुरू किया और फिर उन्होंने बड़ा ख्याल गाया। जिसमें उन्होंने राग पूर्वी में एक बंदिया पेश किया, बाद में उन्होंने राग टप्पा गाया, ’’सतवे जानी यार..’’. उनकी अगली प्रस्तुति राग खमाज में ठुमरी थी, “ठाढ़े रहो बाँके शयाम..“ एवं उन्होंने पारंपरिक दादरा रचना के साथ अपनी प्रस्तुति का समापन किया। उनके साथ तबले पर मिथिलेश झा, हारमोनियम पर पारोमिता मुखर्जी, तानपुरा पर नितिन शर्मा और अमित रतूड़ी ने संगत की।

पंजाब के पठानकोट के पास दाह में जन्मी सुनंदा जी ने चार साल की उम्र में अपने पिता पंडित सुदर्शन शर्मा से प्रशिक्षण लेना शुरू किया था। बाद में उन्होंने संगीत में स्नातक की उपाधि प्राप्त की और मास्टर्स में उन्हें पंजाब विश्वविद्यालय से भारतीय शास्त्रीय गायन में स्वर्ण पदक मिला। बनारस घराने की प्रसिद्ध गायिका गिरिजा देवी ने उन्हें जालंधर के हरिबल्लभ संगीत सम्मेलन में देखा और उनके गायन कौशल से इतनी प्रभावित हुईं कि उन्होंने सुनंदा जी को अपने संरक्षण में ले लिया।

अगले नौ वर्षों में, गुरु, गिरिजा देवी ने शिष्या, सुनंदा शर्मा को संगीत की दृष्टि से एक कलाकार के रूप में विकसित होने में मदद की, जिसमें उनकी गायकी में शास्त्र और भाव पक्ष का उत्तम मिश्रण था। गिरिजा देवी के अनुसार, उनकी विरासत को सुनंदाजी द्वारा गाई गई ठुमरी, चैती और कजरी के माध्यम से आगे बढ़ाया जाएगा क्योंकि उनका अपने तान पर अद्भुत नियंत्रण है।

बनारस और कोलकाता में इस अवधि के दौरान, सुनंदा जी कई अन्य दिग्गजों के अलावा पंडित किशन महाराज और उस्ताद बिस्मिल्लाह खान से मार्गदर्शन लिया। हालाँकि उनकी ताकत ख्याल, टप्पा, ठुमरी, दादरा और चैती में निहित है, उनके प्रदर्शनों में पंजाबी और हिमाचली लोक और विभिन्न भक्ति शैलियाँ शामिल हैं। उन्होंने सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खान और सुप्रसिद्ध कथक नृत्यांगना शाश्वती सेन के साथ जुगलबंदी की है।

उन्होंने ठुमरी महोत्सव, नई दिल्ली और मुंबई सहित भारत के सभी महान उत्सवों में प्रदर्शन किया है। उन्होंने दुनिया भर में प्रदर्शन किया है, जिसमें जर्मनी में विश्व संगीत समारोह और दो बार बेल्जियम में प्रदर्शन शामिल है, उन्होंने यूके, यूएसए, नॉर्वे, फिनलैंड, डेनमार्क और स्वीडन में अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया है। उनके एकल एल्बम “धरोहर“ स्वर संचय“ और “सुर गंगा“ हैं।

तबला वादक शुभ जी का जन्म एक संगीतकार घराने में हुआ था। वह तबला वादक श्री किशन महाराज के पोते हैं। उनके पिता श्री विजय शंकर एक प्रसिद्ध कथक नर्तक हैं, शुभ को संगीत उनके दोनों परिवारों से मिला है। बहुत छोटी उम्र से ही शुभ को अपने नाना पंडित किशन महाराज के मार्गदर्शन में प्रशिक्षित किया गया था।

वह श्री कंठे महाराज.की पारंपरिक पारिवारिक श्रृंखला में शामिल हो गए। सन 2000 में, 12 साल की उम्र में, शुभ ने एक उभरते हुए तबला वादक के रूप में अपना पहला तबला एकल प्रदर्शन दिया और बाद में उन्होंने प्रदर्शन के लिए पूरे भारत का दौरा भी किया। इसी के साथ उन्हें पद्म विभूषण पंडित के साथ जाने का अवसर भी मिला।

शिव कुमार शर्मा और उस्ताद अमजद अली खान. उन्होंने सप्तक (अहमदाबाद), संकट मोचन महोत्सव (वाराणसी), गंगा महोत्सव (वाराणसी), बाबा हरिबल्लभ संगीत महासभा (जालंधर), स्पिक मैके (कोलकाता), और भातखंडे संगीत महाविद्यालय (लखनऊ) जैसे कई प्रतिष्ठित मंचों पर प्रदर्शन किया है।

27 अक्टूबर से 10 नवंबर 2023 तक चलने वाला यह फेस्टिवल लोगों के लिए एक ऐसा मंच है जहां वे शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य के जाने-माने उस्तादों द्वारा कला, संस्कृति और संगीत का बेहद करीब से अनुभव कर सकते हैं। इस फेस्टिवल में परफॉर्म करने के लिये नामचीन कलाकारों को आमंत्रित किया गया है। इस फेस्टिवल में एक क्राफ्ट्स विलेज, क्विज़ीन स्टॉल्स, एक आर्ट फेयर, फोक म्यूजिक, बॉलीवुड-स्टाइल परफॉर्मेंसेस, हेरिटेज वॉक्स, आदि होंगे।

यह फेस्टिवल देश भर के लोगों को भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर और उसके महत्व के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानकारी प्राप्त करने का मौका देता है। फेस्टिवल का हर पहलू, जैसे कि आर्ट एक्जिबिशन, म्यूजिकल्स, फूड और हेरिटेज वॉक भारतीय धरोहर से जुड़े पारंपरिक मूल्यों को दर्शाता है।

रीच की स्थापना 1995 में देहरादून में हुई थी, तबसे रीच देहरादून में विरासत महोत्सव का आयोजन करते आ रहा है। उदेश बस यही है कि भारत की कला, संस्कृति और विरासत के मूल्यों को बचा के रखा जाए और इन सांस्कृतिक मूल्यों को जन-जन तक पहुंचाया जाए। विरासत महोत्सव कई ग्रामीण कलाओं को पुनर्जीवित करने में सहायक रहा है जो दर्शकों के कमी के कारण विलुप्त होने के कगार पर था।

विरासत हमारे गांव की परंपरा, संगीत, नृत्य, शिल्प, पेंटिंग, मूर्तिकला, रंगमंच, कहानी सुनाना, पारंपरिक व्यंजन, आदि को सहेजने एवं आधुनिक जमाने के चलन में लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है और इन्हीं वजह से हमारी शास्त्रीय और समकालीन कलाओं को पुणः पहचाना जाने लगा है। विरासत 2023 आपको मंत्रमुग्ध करने और एक अविस्मरणीय संगीत और सांस्कृतिक यात्रा पर फिर से ले जाने का वादा करता है।

Leave A Reply

Your email address will not be published.