देहरादून में तीन दिवसीय गोर्खा दशै-दिवाली महोत्सव(Gorkha Festival Dehradun) का भव्य समापन
देहरादून: महेंद्र ग्राउंड, गढ़ी कैंट में वीर गोर्खा कल्याण समिति, देहरादून(Veer Gorkha Welfare Committee) द्वारा आयोजित तीन दिवसीय गोर्खा दशै-दिवाली सांस्कृतिक महोत्सव एवं राजकीय मेला 2025 का समापन रंगारंग कार्यक्रमों के साथ हुआ।
मुख्य अतिथि के रूप में कैबिनेट मंत्री गणेश जोशी ने प्रतिभाग किया और महोत्सव में कलाकारों और गोरखा सैनिकों को सम्मानित किया।
सांस्कृतिक प्रस्तुतियों में दिखी भारत की विविधता और एकता
महोत्सव में मेघालय, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, असम सहित
गढ़वाली, कुमाऊनी, जौनसारी और नेपाली संस्कृतियों की शानदार प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया।
रंगारंग कार्यक्रमों, पारंपरिक पोशाकों और गोर्खाली खानपान की झलक ने पूरे आयोजन को जीवंत बना दिया।
हर वर्ष की तरह इस बार भी यह आयोजन देशभक्ति और लोक संस्कृति का अद्भुत संगम साबित हुआ।
मंत्री गणेश जोशी बोले — संस्कृति ही समाज की पहचान है
इस Gorkha Festival Dehradun अवसर पर मंत्री गणेश जोशी ने कहा कि —
“ऐसे आयोजन हमारी संस्कृति और परंपराओं को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम हैं।
गोर्खाली समाज ने भारतीय सेना में जो गौरवशाली योगदान दिया है, वह पूरे देश के लिए प्रेरणादायक है।”
उन्होंने यह भी कहा कि गोर्खाली समाज की संस्कृति, पहनावा और परंपरा आज भी अपनी मौलिकता को जीवित रखे हुए हैं,
और वीर गोर्खा कल्याण समिति इस विरासत को सहेजने का उत्कृष्ट कार्य कर रही है।
सम्मान समारोह में कई गणमान्य अतिथि हुए शामिल
Gorkha Festival Dehradun कार्यक्रम में कैंट विधायक सविता कपूर, दिल्ली पुलिस कमिश्नर अतुल कटियार,
समिति के अध्यक्ष कमल थापा, संरक्षक ई. मेख बहादुर थापा,
वरिष्ठ उपाध्यक्ष उर्मिला तामाड, कोषाध्यक्ष टेकु थापा, सचिव देविन शाही,
सह-सचिव आशु थापा, सांस्कृतिक सचिव देव कला दीवान, सह सांस्कृतिक सचिव करमिता थापा, संगठन मंत्री लोकेश बन, सोनु गुरूगं, सदस्य यामु राना, सोना शाही, पूरन थापा, बुद्धेश राई एवं बबिता गुरुंग सहित अन्य सदस्य उपस्थित रहे।।
सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण का संदेश
गोर्खा दशै-दिवाली सांस्कृतिक महोत्सव(Gorkha Festival Dehradun) का मुख्य उद्देश्य उत्तराखंड और गोर्खाली समाज की लोक परंपराओं को सहेजना और नई पीढ़ी तक पहुंचाना था।
इस आयोजन ने भारत की सांस्कृतिक एकता, पारंपरिक संगीत, नृत्य और लोककला को एक मंच पर प्रस्तुत किया।